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ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ

ਸਾਡਾ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਯਕੀਨ ਹੈ ਤੇ ਸਮੁੱਚੀ ਤਰੱਕੀ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੁਦਰਤ ਉੱਤੇ ਆਪਣੀ ਸੇਵਾ ਵਾਸਤੇ ਗ਼ਲਬਾ ਪਾਉਣਾ ਹੈ। ਇਸਦੇ ਪਿਛੇ ਕੋਈ ਸੁਚੇਤ ਚਾਲਕ ਸ਼ਕਤੀ ਨਹੀਂ। ਇਹੋ ਸਾਡਾ ਫ਼ਲਸਫਾ ਹੈ।

ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ

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Tarksheel Path Nov-Dec 24

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उत्तर क्षेत्रीय तर्कशील संगठनों की प्रशिक्षण कार्यशाला सफल रही

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उत्तर क्षेत्रीय तर्कशील संगठनों की प्रशिक्षण कार्यशाला सफल रही

                                                                                                                                           अनुवादक: अजायब जलालाना  

उत्तर भारत के राज्यों में अंधविश्वासों, तथाकथित चमत्कारों, पाखंडी बाबाओं, ज्योतिषियों, तांत्रिकों, सांप्रदायिक और गैर वैज्ञानिक घटनाओं के खिलाफ वैज्ञानिक जागरूकता अभियान को तेज करने और वहां काम करने वाले विभिन्न तर्कशील संगठनों के बीच आपसी तालमेल, बातचीत

बढ़ाने के उद्देश्य से तर्कशील सोसायटी पंजाब हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड राज्यों के तर्कशील संगठनों और प्रगतिशील कार्यकर्ताओं के निमंत्रण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला 7-8 दिसंबर को तर्कशील सोसायटी पंजाब के मुख्यालय तर्कशील भवन बरनाला में आयोजित की गई, जिसमें तर्कशील सोसायटी पंजाब, हरियाणा, ह्यूमनिस्ट एसोसिएशन चंडीगढ़, साइंस फॉर सोसायटी उत्तराखंड, राजस्थान तर्कशील सोसायटी, नौजवान भारत सभा दिल्ली, साइंस फॉर सोसायटी झारखंड, ज्ञान विज्ञान समिति हरियाणा, तर्कशील सोसायटी जम्मू, तर्कशील सोसायटी भारत, इंडियन सिविल सोशल फोर्स राजस्थान और तर्कशील सोसायटी कनाडा के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

तर्कशील सोसायटी पंजाब के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय तालमेल विभाग के राज्य प्रमुख जसवन्त मोहली ने प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य बताते हुए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। कार्यशाला के प्रथम दिन के प्रथम सत्र में उपरोक्त संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मंच पर अपना परिचय दिया। उन्होंने अपनी संस्था द्वारा अंधविश्वासों, पाखंडी बाबाओं, गैरवैज्ञानिक घटनाओं और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ वैज्ञानिक चेतना के प्रचार-प्रसार के तरीकों, समस्याओं, अनुभवों, गतिविधियों और तर्कशील साहित्य की जानकारी साझा की।

दूसरे सत्र में तर्कशील सोसायटी पंजाब के वरिष्ठ नेता भूरा सिंह महिमा सरजा ने समाज में अंध विश्वास, अंधश्रद्धा और सांप्रदायिकता के बढ़ने के लिए जिम्मेदार कारणों और सरकार की सांप्रदायिक राजनीति को समझाते हुए कहा कि वैज्ञानिक सोच ही मनुष्य को इतिहास, समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, राजनीति और शासन को समझने में मदद कर सकता है और जीवन में सही तरीके से समझने, परखने और अभ्यास करने का विचार देता है। उन्होंने कहा कि हमें धर्म और सांप्रदायिकता के बीच के अंतर को समझना चाहिए। राज्य प्रमुख मास्टर राजिंदर भदौड़ ने पंजाब के तर्कशील आंदोलन के चार दशकों के विकास और राज्य, जोन और इकाई स्तर पर काम करने वाले विभिन्न विभागों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

तीसरे सत्र में हिमाचल के युवा नेता अमनदीप सिंह लूथरा ने तर्कशील आंदोलन में युवाओं, छात्रों और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के तरीकों के बारे में एक शोध पत्र पढ़ा गया।  उन्होंने कहा कि हमें विद्यार्थियों में हर घटना के पीछे के कारणों को समझने की मानसिकता विकसित करनी चाहिए तथा विद्यार्थियों के स्तर का अधिक से अधिक तार्किक साहित्य लिखकर विद्यार्थियों तक पहुंचाना चाहिए।  तर्कशील पारिवारिक बैठकों एवं सेमिनारों में युवाओं एवं महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी के साथ-साथ उनके विचारों को सुना जाना चाहिए तथा समय-समय पर किसी तर्कशील पुस्तक पर विद्यार्थियों का व्याख्यान आयोजित किया जाना चाहिए।

अंतिम सत्र में राज्य नेता राजपाल बठिंडा ने वैज्ञानिक चेतना के प्रचार-प्रसार में तर्कशील पत्रिका और तर्कशील साहित्य के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तर्कशील सोसाइटी पंजाब को अपने साहित्य का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद कर लोगों तक पहुंचाना चाहिए। हिन्दी भाषी राज्यों की तर्कशील संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के साहित्य का पंजाबी में अनुवाद किया जाना चाहिए।  इस मौके पर तर्कशील सोसायटी पंजाब के प्रदेश नेता जोगिंदर कुल्लेवाल और करतार सिंह जगराओं ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए, जबकि जोन पटियाला के नेता राम कुमार ने हाथ की सफाई के गुर दिखाकर पाखंडी बाबाओं का पर्दाफाश किया।

प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा वैज्ञानिक सोच पर किये जा रहे हमलों का मुकाबला करने पर चर्चा की गयी। वरिष्ठ तर्कशील नेता भूरा सिंह महिमा सरजा ने मोदी सरकार द्वारा हिंदुत्व एजेंडे के तहत समाज में सांप्रदायिक नफरत फैलाने, शिक्षा के भगवाकरण करने और सदियों से तर्कशील विचारधारा पर सांप्रदायिक फासीवादी हमलों और संपूर्ण तर्कवादी आंदोलन को एक संगठनात्मक रूप देने के बारे में विस्तार से बताया। साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ एकता के साथ इसे वैज्ञानिक, सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, कानूनी और वर्ग स्तर पर मजबूत और प्रभावी बनाकर कड़े प्रतिरोध का आह्वान किया।

दूसरे सत्र में वैज्ञानिक चेतना के प्रसार में सोशल मीडिया के महत्व पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में सोशल मीडिया एक प्रभावी हथियार बन गया है, जिसका उपयोग तर्कशील सोच के दायरे को व्यापक बनाने के लिए किया जा सकता है।  अन्य राज्यों में वैज्ञानिक चेतना के प्रचार-प्रसार के लिए तर्कशील साहित्य को और अधिक सक्रिय करने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। इस मौके पर विद्यार्थी चेतना परीक्षण परीक्षा अनुवादित पुस्तक वैज्ञानिक चेतना का विमोचन हुआ। उसी समय जिसकी 400 से अधिक प्रतियां विभिन्न संगठनों द्वारा हाथों-हाथ खरीद ली गईं।

तीसरे सत्र में तथाकथित भूत-प्रेत और मानसिक समस्याओं के मामलों को सुलझाने के लिए तर्कशील और मनोवैज्ञानिक साहित्य के गहन अध्ययन पर जोर दिया गया।  इसके अलावा समय-समय पर होने वाले पाखंडी बाबाओं, तांत्रिकों, ज्योतिषियों, आंखों पर पट्टी बांधकर नाक से सूंघकर पढ़ने वालों और गैर वैज्ञानिक घटनाओं के खिलाफ हर स्तर पर आम लोगों को जागरूक करना और एक समान अंधविश्वास विरोधी कानून बनाना तथा लागू करवाना। इसके लिए पूरे देश में हर स्तर पर अपने प्रयास तेज करने पर विचार किया गया।

इस अवसर पर प्रशिक्षण कार्यशाला का विश्लेषण करते हुए विभिन्न तर्कशील संगठनों के नेताओं ने कहा कि वैज्ञानिक चेतना और जन-हितैषी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के क्षेत्र में तर्कशील सोसायटी पंजाब द्वारा समय-समय पर की जाने वाली विशेष गतिविधियां और कार्यक्रम, जिसमें विद्यार्थी चेतना परीक्षण परीक्षा और तर्कशील साहित्य वैन की योजना,प्रकाशन विभाग, सांगठनिक ढांचा,प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रचार आदि अनुभव से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। जिसे वे अपने राज्यों में भी लागू करने का प्रयास करेंगे।

कार्यशाला के अंतिम सत्र में तर्कशील साहित्य, पत्रिकाएं एवं सोशल मीडिया सहित अन्य क्षेत्रों में संवाद एवं तालमेल की रणनीति को मजबूत करने के लिए सभी संगठनों के प्रमुखों द्वारा एक संयुक्त तालमेल समिति का गठन किया गया। जिसमें इंडियन सिविल सोशल फोर्स राजस्थान के जगदीश प्रसाद, नौजवान भारत सभा दिल्ली के अमित बेरा, तर्कशील सोसायटी हरियाणा के फरियाद सनियाना, तर्कशील सोसायटी भारत के राजा राम हंडियाया, ह्यूमनराइट्ज एसोसिएशन चंडीगढ़ के दीपक कनौजिया, तर्कशील सोसायटी पंजाब के अजायब जलालाना, साइंस फॉर सोसायटी  झारखंड के विकास कुमार, तर्कशील सोसायटी राजस्थान के राम मूर्ति, साइंस फॉर सोसायटी उत्तराखंड के गिरीश चंद्र, ज्ञान विज्ञान समिति हरियाणा के सुरेश कुमार, तर्कशील सोसायटी हरियाणा के बलवान सिंह और तर्कशील सोसायटी पंजाब के जसवंत मोहली को पूर्ण सहमति से नामांकित किया गया।

विभिन्न सत्रों के दौरान हुई चर्चा में तर्कशील संगठनों के प्रतिनिधि फरियाद सिंह, अनुपम, हेम राज स्टेनो, राम मूर्ति, गिरीश चंद्र, सुभाष तितरम, पारिजात, गुरप्रीत शेहना, राजेश पेगा, प्रिंसिपल हरिंदर कौर, सुरेश कुमार, विकास, प्रशांत, राम स्वर्ण लखेवाली, सुमीत अमृतसर, मनोज मलिक, अभिनव जम्मू, वीर सिंह, मदन सिंह, जोगिंदर कुल्लेवाल, संदीप धारीवाल भोजा, भूपिंदर सिंह, विक्रम सिंह, मैडम मंजू स्वामी, मंजू हनुमानगढ़, विकास, बलवान सिंह, चांदी राम, राजा राम हंडियाया, संदीप कुमार के अलावा तर्कशील सोसायटी के नेता अजायब जलालाना, हरचंद भिंडर. राम कुमार पटियाला, सतपाल सलोह नवांशहर, डॉ. मजीद आजाद, गगन  रामपुरा, जगदेव रामपुरा, मोहन बडला, करतार सिंह जगराओं आदि ने भाग लिया।  तर्कशील सोसायटी कनाडा से बलविंदर बरनाला और बीरबल भदौड़ ने विशेष तौर पर शिरकत की।  

तर्कशील सोसायटी पंजाब राज्य प्रमुख मास्टर राजिंदर भदौड़ ने प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर सभी तर्कवादी संगठनों के 70 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर विभिन्न तर्कशील संगठनों द्वारा अपने अपने साहित्य की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। इस दो दिवसीय कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी व पंजीकरण के लिए राज्य वित्त प्रमुख राजेश अकलिया, बिंदर धनौला, बरनाला इकाई के नेता भीमराज ने निभाई। शाम के आखिरी सत्र के समापन के बाद सभी संगठनों के प्रतिनिधि अपने-अपने राज्यों में तर्कशील आंदोलन को और विस्तार देने का संकल्प लेते हुए अपने-अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गये।

  1. Tarksheel Path Sep-Oct 24
  2. Tarksheel Path July-Aug 24
  3. Tarksheel Path May-June 24
  4. Tarksheel Path Mar-Apr 24

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ਡਾ. ਅਬਰਾਹਮ ਟੀ. ਕਾਵੂਰ

ਜਿਹੜਾ ਆਪਣੇ ਚਮਤਕਾਰਾਂ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਦੀ ਆਗਿਆ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ, ਉਹ ਫਰੇਬੀ ਹੈ। ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਚਮਤਕਾਰਾਂ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਕਰਨ ਦਾ ਹੌਂਸਲਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਉਹ ਲਾਈਲੱਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਜਿਹੜਾ ਬਗੈਰ ਪੜਤਾਲ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਉਹ ਮੂਰਖ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਡਾ. ਅਬਰਾਹਮ ਟੀ. ਕਾਵੂਰ

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